Success story of Three Sisters : संघर्षशील बेटियों को अक्सर पढ़ने का मौका दिया जाए तो वो समाज में अपनी उड़ान खुद तय कर लेती है और अपना मुकाम हासिल करती हैं, जिससे समाज और परिवार का गर्व का फक्र होता है। ऐसे ही समाज से एक कहानी ओर आपको लेख के माध्यम से पेश कर रहे हैं। यूजीसी नेट परीक्षा भारत की सबसे कठोर परीक्षाओं में से एक परिक्षा मानी जाती है।
कई परीक्षार्थियों को इसमें सफल होने में 1 साल से अधिक का वक्त लग जाता है। मगर पंजाब के बठिंडा की 3 सगी बहनों ने यूजीसी नेट 2025 के पहले अटेंप्ट में पास कर अपने समाज में एक मिसाल कायम की है। एक गरीब परिवार से संबंध रखने वाली ये तीनों बहनें कठिन हालातों में भी अपने सपनों को पूरा करने में जुटी रहीं। तीन बहनों, 1 भाई और माता-पिता वाले 5 सदस्यीय परिवार का गुजारा बड़ी कठिनाई से हो पाता है।
क्या नाम है तीनों बहनों का और जानें उनके सपने
गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली तीनों बहनों ने एक साथ मेहनत कर यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण (Success story) कर साबित कर दिया कि यदि संघर्ष के प्रति जोश और जुनून हो तो कोई भी कठिन राह नहीं रोक सकती। तीनों बहनों- रिंपी कौर, बींत कौर और हरदीप कौर ने भिन्न-भिन्न विषयों में यूजीसी नेट परिक्षा पास की है। अब तीनों किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी कर अपने परिवार की आर्थिक दायित्वों को अपने कंधे पर लेना चाहती हैं। मीडिया से बातचीत में इन्होंने बताया कि इनका 1 ही भाई है मगर उसकी तबियत स्थिर नहीं रहती है।
पहले ही अटेंप्ट में सफलता (Success story) हासिल की
आप सभी पाठक जानते ही हैं, यूजीसी नेट परीक्षा में कॉम्पिटिशन का स्तर बहुत हाई रहता है। इसे पहले अटेंप्ट में ही पास कर पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। मगर अलग-अलग उम्र की ये तीनों बहनें बिना किसी कोचिंग की सहायता के यूजीसी नेट परीक्षा में सफलता हासिल कि। सबसे बड़ी बहन रिंपी कौर ने कंप्यूटर साइंस विषय की परीक्षा दी थी, मंझली बहन बींत कौर ने इतिहास की और सबसे छोटी हरदीप कौर ने विषय के तौर पर पंजाबी भाषा का चयन किया था। रिंपी ने यूजीसी नेट जून 2024 परीक्षा दी थी, मगर वह रद्द हो गई थी।
माता-पिता की मेहनत लाई रंग Success story
जब माता पिता अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए कठिन से कठिन मेहनत करते हैं तो उसमें गरीबी भरा संघर्ष होता है। पाठकों बता दें कि इन तीनों बहनों के पिता बींत सिंह ग्रंथी हैं। वह पहले एक गुरुद्वारा से जुड़े हुए थे, फिर अपना खुद का काम स्टार्ट कर दिया। उनकी मां मंजीत कौर दिहाड़ी मजदूर के तौर पर खेतों में काम करती हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर भी माता-पिता ने अपनी बेटियों की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी नहीं होने दी। रिंपी कौर ने एमसीए की डिग्री ली, बींत कौर ने इतिहास में एमए किया और हरदीप कौर ने पंजाबी भाषा में एमए की डिग्री हासिल कर यूजीसी नेट परीक्षा दी और उसमें सफलता हासिल की।