Haryana Railway Station Hisotory : उत्तर भारत में हरियाणा एक मजबूत और विकसित रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जो राज्य की परिवहन व्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। यहां के रेलवे स्टेशन न सिर्फ प्रदेश के भिन्न-भिन्न हिस्सों को आपस में जोड़ते हैं, किंतु देश के बड़े शहरों तक पहुंच को भी सरल बनाते हैं। इससे यात्रियों को सुगम और तेज़ सफर का ऑप्शन मिलता है। इसलिए आज हम जानेंगे राज्य के सबसे पुराना रेलवे स्टेशन के इतिहास के बारे में।
रेवाड़ी हरियाणा का सबसे पुराना रेलवे जंक्शन
पाठकों को बता दें कि, हरियाणा का सबसे पुराना और ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन रेवाड़ी जंक्शन है, जिसकी नींव सन् 1873 में पड़ी थी। इसे उस समय राजपूताना स्टेट रेलवे ने तैयार किया और दिल्ली से रेवाड़ी तक मीटर गेज ट्रैक बिछाया गया। 1874 में रेवाड़ी से रेल लाइन अलवर और बांदीकुई तक पहुंचाई गई, जबकि 1875 में यह जयपुर और अजमेर तक जुड़ गई। इस विस्तार ने रेवाड़ी को उत्तर भारत के प्रमुख जंक्शनों में शामिल कर दिया।
औपनिवेशिक दौर (Colonial Period) में रेवाड़ी जंक्शन मीटर गेज ट्रेनों का अहम सेन्टर रहा। यहां से दिल्ली, अजमेर, जोधपुर और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों के लिए सीधा संपर्क स्थापित हुआ, जिसने व्यापार और आवागमन को नई दिशा प्रदान की।

आजादी के बाद का रेवाड़ी रेलवे जंक्शन
अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भी रेवाड़ी लंबे समय तक देश का सबसे बड़ा मीटर गेज जंक्शन बना रहा। यहां से चलने वाली ट्रेनों ने पूरे उत्तर भारत को जोड़ने का काम किया। 1990 के दशक में भारतीय रेल ने धीरे-धीरे मीटर गेज को ब्रॉड गेज में परिवर्तित किया। इस प्रक्रिया में रेवाड़ी भी शामिल हुआ और आज पूरी तरह ब्रॉड गेज नेटवर्क पर काम कर रहा है।
आज हरियाणा में जंक्शन का अहम रोल
आज रेवाड़ी जंक्शन उत्तर पश्चिम रेलवे (जयपुर मंडल) का एक अहम हिस्सा है और दिल्ली, जयपुर, अजमेर, अहमदाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद जैसे शहरों से सीधा जुड़ाव होता है।
रेवाड़ी रेल संग्रहालय में दिखती इतिहास की झलकियां
हरियाणा में रेवाड़ी जंक्शन की विशेष पहचान यहां का स्टिम लोको शेड है, जो देश का इकलौता सक्रिय भाप इंजन शेड है। यहां पुराने इंजन संरक्षित किए जाते हैं, जो रेलवे इतिहास में रुचि रखने वालों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र हैं। जो यहां इतिहास और हरियाणा की संस्कृति की झलकियां दर्शती है।