फिर से होगी चुनाव की वोटो की गिनती EVM इंडिया
ईवीएम और वीवीपैट मामले में चुनाव आयोग पहुंची बीजेपी विपक्ष पहले से ही कर रहा है ईवीएम पर सवाल ईवीएम को लेकर सवाल उठ रहे हैं अभी तक तो इंडिया गठबंधन के ईवीएम पर अब बीजेपी ने भी उठा दिए सवाल नेताओं की तरफ से ही ईवीएम पर सवाल किए जारहे थे तो बीजेपी ईवीएम का बचाव कर रही थी

लेकिन अब बीजेपी नेता ही ईवीएम पर सवाल उठाने लगे हैं दरअसल हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में हारे हुए कई उम्मीदवारों ने अपनी हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार माना था करीब एक दर्जन उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग को आवेदन देकर ईवीएम वीवी पैड की जांच की मांग की है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसमें बीजेपी के नेता भी शामिल है बीजेपी उम्मीदवार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वोटर

वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल ईवीएम वीवीपैट यूनिट के मेमोरी वेरिफिकेशन की मांग की है बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान 26 अप्रैल के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सभी ईवीएम वीवीपैट पर्चियां के मिलान की अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि मतगणना के सात दिनों के अंदर उम्मीदवार प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के अधिकतम 5 फीदी ईवीएम मशीनों की जांच का आवेदन चुनाव आयोग को दे सकते हैं कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसे आवेदन केवल दूसरे और तीसरे नंबर पर आए उम्मीदवार ही दायर कर सकते हैं 1 जून को चुनाव आयोग ने इस दिशा में निर्देश भी

जारी कर दिए थे आयोग के निर्देश में ही कहा गया था कि प्रति ईवीएम मशीन के सत्यापन की लागत 0000 के साथ जीएसटी का भुगतान करना होगा अगर सत्यापन के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी पाई गई तो यह रकम उम्मीदवारों को वापस कर दी जाएगी और अब चुनाव आयोग में इस तरह के आवेदन पहुंचने लगे हैं लेकिन सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि ईवीएम में धान की शिकायत करने वालों में बीजेपी भी शामिल हो गई है अहमदनगर लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार सुजय राधाकृष्ण विखे पाटिल को हार मिली है और विखे पाटल अब इसे लेकर ईवीएम को जिम्मेदार मान रहे हैं उन्होंने विधानसभा क्षेत्रवार ईवीएम यूनिट की जांच की मांग की है विखे पाटिल को शरद पवार की एनसीपी के नीलेश ज्ञानदेव लंके ने

2892 मतों से हराया है वैसे अधिकांश मामलों में शिकायत विपक्षी दलों की तरफ से ही की गई है लेकिन बीजेपी उम्मीदवार की शिकायत के बाद यह साफ हो गया है कि बीजेपी को भी ईवीएम पर भरोसा नहीं है कुल 10 उम्मीदवारों के आवेदन चुनाव आयोग को मिले हैं जिन्होंने ईवीएम वीवीपैट के सत्यापन की जांच की मांग की है इनमें से अधिकांश उम्मीदवारों ने एक से तीन ईवीएम यूनिट के सत्यापन की मांग की है हालांकि कुछ उम्मीदवारों ने इससे ज्यादा यूनिट की जांच की भी मांग की है सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं विधानसभा चुनाव को लेकर भी सवा उठे हैं उड़ीसा में विधानसभा चुनाव भी हुए थे

उड़ीसा में झारसुगड़ा से बीजू जनता दल की उम्मीदवार दीपाली दास ने भी ऐसी ही मांग की है वह बीजेपी के टंकर त्रिपाठी से 1265 वोटों से चुनाव हार गई थी दास इस सीट सेकई बार चुनाव जीत चुकी हैं उन्होंने करीब एक दर्जन ईवीएम वीवीपैट मशीनों की जांच की मांग की है उन्होंने कहा कि कुल 19 राउंड की गिनती में 15वें राउंड तक वह आगे चल रही थी लेकिन अचानक आखिरी दो राउंड की गिनती में वह पिछड़ गई यह उन्हें रास नहीं आ रहा है दास ने 13 मशीनों के सत्यापन की मांग चुनाव आयोग से की है साफ है जिस तरह से ईवीएम और वीवी पैड को लेकर उम्मीदवारों के मन में शंका दिखाई दे रही है विपक्ष के दलों की तरफ से इस तरह की मांग उठाई जा रही थी लेकिन बीजेपी उम्मीदवार और वो भी उस राज्य से जहां सरकार भी एनडीए की ही है
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अगर ईवीएम को लेकर शिकायत दर्ज करा रहे हैं तो ईवीएम को लेकर जरूर चिंता दिखाई देने लगी है क्योंकि अभी तक सिर्फ बीजेपी ही ईवीएम का खुलकर समर्थन करते हुए दिखाई दे रही थी वह बात अलग है कि 2014 से पहले ईवीएम का विरोध करने वाले दलों में बीजेपी सबसे आगे रहती थी लेकिन जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी उसके बाद से ही पार्टी के सुर ईवीएम को लेकर बदल गए थे लेकिन अब बीजेपी उम्मीदवार ने जिस तरह से ईवीएम पर सवाल उठाए हैं उससे एक बात तो साफ हो गई है कि ईवीएम पर लोगों का भरोसा कम होता जा रहा है
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