किसान का बेटा बना SDM जाने पूरी कहानी। इस लड़के ने बना डाला इतिहास !
तीसरे प्रयास में हासिल की सफलता, गांव कालीरावण के सुखराम स्कूल में प्राप्त की 12वीं तक की शिक्षा परिवार के साथ जमीन ठेके पर लेकर खेती करता था सुरेश
अगर लक्ष्य बनाकर मन में कुछ ठान लिया तो उसे पाना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस उस लक्ष्य की ओर पूरी मेहनत, लग्न और ईमानदारी के साथ प्रयास किया जाना चाहिए। यह कहना है गांव कालीरावण स्थित सुखराम मैमोरियल पब्लिक स्कूल के पूर्व छात्र रहे सुरेश चबरवाल का। सुरेश ने एससीएस की परीक्षा में पूरे प्रदेश में 17वां रैंक हासिल कर एसडीएम की पोस्ट प्राप्त की है। बेहद साधारण परिवार से आने वाले सुरेश की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि वह अब एसडीएम बनकर प्रदेश के विकास में अपना योगदान देगा। सुरेश का गुरुवार को विद्यालय में पहुंचने पर प्राचार्य बलविंद्र सिंह भ्याणा सहित स्टाफ सदस्यों ने एवं आदमपुर में पहुंचने पर पूर्व जिला पार्षद रामप्रसाद गढ़वाल ने गर्मजोशी के स्वागत किया और मुहं मिठाकर परिजनों को बधाई दी।

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- तीसरे प्रयास में पाई सफलता
विशेष बातचीत के दौरान सुरेश ने बताया कि उसकी प्रारंभिक से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई गांव के ही सुखराम मैमोरियल पब्लिक स्कूल में हुई और उसने 12वीं की परीक्षा में टॉप किया। उसके बाद उसने दिल्ली युनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में चला गया। वहां से उसने स्नातक की पढ़ाई की। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उसका लक्ष्य था कि वह आईएएस अधिकारी बनेगा। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए और अपने आसपास के बच्चों से प्रेरित होकर पढ़ाई आरंभ की यूपीएससी के लिए परीक्षा भी दी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद उसने एचसीएस के लिए परीक्षा दी और तीसरी बार में उसने इस परीक्षा में सफलता हासिल करते हुए प्रदेश में 17वीं रैंक पाई।

- खेती करते करते की पढ़ाई की, पिता ने लोन व जमीन ठेके पर ले बेटे को पढ़ाया
सुरेश ने बताया कि उनका पूरा परिवार खेती करता है। ज्यादा जमीन ना होने के चलते उसके माता-पिता जमीन ठेके पर लेकर खेती करते है और परीक्षा के दौरान भी वह खेत में पानी लगाता था एवं पिता सतबीर को खेत में ज्यादा काम होने के चलते वह ट्रैक्टर या थ्रेसर देने के लिए व अन्य कामों के लिए खेत में जाता था एवं वहीं बैठकर पढाई करता था। सुरेश ने बताया कि उसने दिन के सुर्य के उजाले में एवं रात्रि के समय टै्रक्टर की लाईट में पढ़ाई की। सुरेश ने बताया कि कोई भी विद्यार्थी पढ़ाई करते समय अपना बैकग्राउंड ना देखे कि वह गरीब है या फिर किसान है। वह केवल अपना लक्ष्य बनाकर पूरी मेहनत से पढ़ाई करे और हर रोज यह सोचे ही वह कल से बेहतर कैसे होगा। उसे सफलता अवश्य मिलेगी। सुरेश ने बताया कि उसकी पढ़ाई के लिए उनके परिवार ने बहुत मेहनत की है। उनके पास केवल 4 एकड़ जमीन है और परिवार वालों ने जमीन ठेके पर लेकर, बैंक से लोन व अन्य लोगों से सहायता लेकर दोनों बहन-भाईयों को पढ़ाया है। सुरेश ने बताया कि उसकी मां माया देवी गृहणी, पिता सतबीर किसान व एक बहन है रेणु है जो दिल्ली स्थित एम्स से बीएससी नर्सिंग कर रही है।

- अभी तक रखता है कीपेड फोन, सोशल मीडिया का कभी नहीं किया इस्तेमाल
नवनियुक्त एचसीएस सुरेश, उसके पिता सतबीर व उनका परिवार कितना साधारण है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे वह अभी तक किपेड फोन प्रयोग करता है। सुरेश ने बताया कि उसने आज तक एंड्रायड फोन प्रयोग नहीं किया और ना ही कभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है। सोशल मीडिया दो धारी तलवार है, लेकिन मेरा मानना है कि विद्यार्थी जीवन में इससे जितना दूर रहोगे उतना ही फायदा होगा। अगर एक बार सोशल मीडिया में फस गये तो आप उसमें फसते ही जाओगो और पता ही नहीं चलेगा कि कब मिनटों से घंटे और घंटों से पूरा दिन आप सोशल मीडिया पर खराब कर रहे हो।
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