Brijendra Singh Political Controversy : पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे और उचाना विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे बृजेंद्र सिंह ने कहा कि विधानसभा चुनावों में मुझे हराने के लिए जनता के सामने तो खेल था ही, पर्दे के पीछे भी बहुत खेल हुआ। तीन लोग इकट्ठे हुए, यहां तक कि दुष्यंत ने भी निर्दलीय की तरफ इशारा कर दिया था। दो निर्दलीय कैंडीडेट की निष्ठा एक व्यक्ति विशेष के प्रति थी और ये दोनों अंत तक खड़े रहे, सभी जानते हैं।
बृजेंद्र सिंह ने यहां व्यक्ति विशेष की संज्ञा भूपेंद्र हुड्डा को दी है, क्योंकि निर्दलीय कैंडीडेट बीरेंद्र घोघड़ियां (Birender Ghogrian) और दिलबाग संडील की आस्था भूपेंद्र हुड्डा में ही थी। पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि मुझे भाजपा ही नहीं, जेजेपी, निर्दलीय भी हराना चाहते थे। बीरेंद्र घोघड़ियां का नाम लिए बिना बृजेंद्र सिंह ने कहा कि एक निर्दलीय कैंडीडेट था, जिसका चुनाव निशान रोड रोलर था। आम भाषा में इसे गिरड़ा कहते हैं।
जेजेपी के दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने तो ऑन रिकार्ड ये भी कह दिया था कि और कुछ न सूझे तो गिरड़े को ही दे देना। उसने कुछ सोच समझ कर ही कहा होगा। बृजेंद्र सिंह ने कहा कि मैं उनकी बातों को वजन इसलिए नहीं देता, क्योंकि जेजेपी ने खुद ही अपना वजूद खत्म कर दिया। मेरे चुनाव में दुष्यंत चौटाला के 93 हजार वोट थे और इस बार 7800 पर सिमट गया, इसलिए ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन मेरी हार में कहीं न कहीं दुष्यंत का भी रोल तो रहा ही है।
Brijendra Singh : मैं IAS नहीं बनना चाहता था, मन में था कि नौकरी छोड़नी ही है, लेकिन नौकरी में राजनीति नहीं घुसने दी
बृजेंद्र सिंह ने कहा कि मैं IAS नहीं बनना चाहता था। नौकरी के दौरान मन में कहीं न कहीं ये था कि नौकरी तो छोड़नी ही है लेकिन इसके बावजूद भी 21 साल उनकी नौकरी चल गई, क्योंकि उन्होंने नौकरी में कभी भी राजनीति को नहीं घुसने दिया। उन्होंने बिना किसी तनाव के, बिना किसी दबाव के साफ-सुथरी नौकरी की।
पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि मैं IAS नहीं बनना चाहता था। मेरे लिए UPSC क्वालीफाई करना बहुत बड़ी बात थी। मैंने कभी इसे नौकरी का ऑप्शन नहीं माना था लेकिन यह चल बहुत लंबी गई। बृजेंद्र सिंह ने कहा कि नौकरी के साथ जो न्याय करना चाहिए था, सायद मैं उतना न्याय नहीं कर पाया।
कहीं न कहीं मन में था कि छोड़नी है। इतना जरूर है कि मेरी नौकरी बिना किसी दबाव के, बिना किसी तनाव के साफ-सुथरी चली है। मैंने कभी भी अपने दफ्तर को राजनीतिक दफ्तर नहीं बनने दिया। इसमें सबसे बड़ा रोल मेरे पिता का रहा। उन्होंने मेरी नौकरी में कभी मुझे डिस्टर्ब नहीं किया। कभी मेरे पास किसी तरह की पोलिटिकल सिफारिश नहीं आई। हमारी और हमारे परिवार की लोगों के बीच जो परसेप्शन है, उसके कारण नौकरी बहुत सहुलियत से चली।
पिता वित्त मंत्री, इलेक्शन में नहीं हुई ट्रांसफर
पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह ने कहा कि मुझे संतुष्टि है कि मेरी नौकरी को लेकर कभी कोई सवाल नहीं उठे। एक किस्से का जिक्र करते हुए बृजेंद्र सिंह ने कहा कि 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान मैं फरीदाबाद का डीसी था। उस समय मेरे पिता वित्त मंत्री थे। जैसे ही चुनाव घोषित हुए, तो मेरी ट्रांसफर निश्चित थी। उनके साथी रहे गुरुग्राम के डीसी की ट्रांसफर चुनाव घोषणा के दूसरे ही दिन हो गई थी, क्योंकि कांग्रेस का प्रत्याशी उनका जानकार था।
इसलिए मैं इंतजार में था कि आज मेरी ट्रांसफर आएगी, कल आएगी लेकिन नहीं आई। इससे साफ है कि मेरी कार्यप्रणाली पर, निष्पक्षता पर चुनाव के दौरान भी सवाल नहीं उठे। चुनाव आयोग के लिए ट्रांसफर बहुत ही आसान थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। हालांकि बाद में पता चला कि करनाल से किसी ने शिकायत की है कि ये वित्त मंत्री के बेटे हैं और मुख्यमंत्री के भतीजे, इसलिए इलेक्शन में धांधली हो सकती है लेकिन वहां के लोकल लीडर में किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया।
कौन है Brijendra Singh : UPSC में 9वीं रैंक लाकर मचाया था धमाल, फिर IAS की नौकरी छोड़ बने नेता
बृजेंद्र सिंह का जन्म 13 मई 1972 को जींद जिले के डूमरखां गांव में हुआ था। बृजेंद्र सिंह ने 1992 में सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से बीए (ऑनर्स) इतिहास से किया है। आगे की पढ़ाई जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से की। बृजेंद्र सिंह ने 1998 के यूपीएससी रिजल्ट में अखिल भारतीय रैंक (AIR) 9 हासिल की थी। बृजेंद्र सिंह ने किंग्स कॉलेज लंदन से सार्वजनिक नीति और प्रबंधन में एमएससी भी किया है।
बृजेंद्र सिंह सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान राहुल गांधी के क्लासमेट थे। दोनों की अच्छी दोस्ती थी। बृजेंद्र सिंह की पत्नी का नाम जसमीत सिंह है। वह एचडीएफसी बैंक में नौकरी करती हैं। उनके दो बच्चे कुदरत सिंह और समरवीर सिंह हैं। बृजेंद्र सिंह आईएएस थे, लेकिन उन्होंने स्वैच्छित सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति जॉइन की। वह 21 सालों तक हरियाणा में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे। बृजेंद्र सिंह के माता-पिता दोनों राजनीति में हैं। बृजेंद्र सिंह के पिता पूर्व केंद्रीय इस्पात मंत्री रहे हैं तो मां प्रेमलता उचाना से विधायक रह चुकी हैं।