Story of Viral Video Orca : डॉल्फिन ओर्का के फेक वीडियो ने कितने कमाये पैसे? समझें कैसे हो जाते हैं ये वीडियो वायरल

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Story of Viral Video Orca : आज की डिजिटल की दुनिया यानि आज सोशल मीडिया और एआई का गलत उपयोग ने सच और झूठ का अंतर इतना कम कर दिया है कि सामान्य आदमी कई बार धोखे का शिकार हो जाता है। अगस्त माह में ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जब ओर्का डॉल्फिन का एक वीडियो सोशल मीडिया में आंधी की तरह छाया, मगर कुछ ही समय में यह बात सामने आई कि यह वीडियो एआई जेनरेटेड है और इस जानकारी में कोई सच्चाई है कि ये वीडियो फेक है।

क्या हुआ था विडियो में

वीडियो में यह दिखाया गया कि डाॅल्फिन परिवार की जाइंट मछली ओर्का ने अपनी ट्रेनर को निगल लिया। यह वीडियो इतना भयावह और सच के करीब दिख रहा था कि इसे हाथोंहाथ लिया गया। इस वीडियो को देखने वालों की संख्या हर प्लेटफाॅर्म पर मिलियन में थी, बच्चे, बूढ़े और जवान सभी ने इस वीडियो को देखा और वे दंग रह गए कि ऐसा भी हो सकता है। मगर कुछ ही समय में यह सच्चाई सामने आ गई कि यह वीडियो फेक है और ना ही संसार में ऐसी कोई घटना हुई है और ना ही कहीं जेसिका रैडक्लिफ नाम की कोई मरीन ट्रेनर है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर ऐसे वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कैसे हो जाते हैं और जो लोग भी इस तरह का वीडियो बनाते हैं उनका उद्देश्य क्या होता है?

फेक विडियो ऐसे होते है वायरल

पाठकों को बता दें कि, किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म का एल्गोरिद्म (स्टेप बाई स्टेप निर्देश) इस तरह का बनाया जाता है कि वह सनसनीखेज (sensational) कंटेंट को ज्यादा प्रमोट करें। इसके पीछे दो मैन कारण है –

  1. व्यवसाय
  2. मनोविज्ञान

व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य

दरअसल, सोशल मीडिया कंपनी विज्ञापन के तहत अच्छा खासा मुनाफा कमाती है। क्योंकि उनके कंटेंट पर एक यूजर जितना समय गुजारता है उसी के हिसाब से उसे पैसे मिलते हैं। इसी तरह सोशल मीडिया का एल्गोरिद्म उसी कंटेंट को प्रमोट करता है जिसपर एक यूजर अधिक समय देता है।

मानव मनोविज्ञान का कैसा प्रभाव पड़ता है

सोशल मीडिया में वैसे ही कंटेंट वायरल होते हैं, जिससे इंसान की इमोशन कनेक्ट होते हैं। जैसे कि एक इंसान का दिमाग उन घटनाओं पर ज्यादा फोकस करता है, जिससे उसे डर लगता हो, गुस्सा आता हो, हैरानी होती हो या फिर उसे आनंद आता हो। बस इसी कारण से सोशल मीडिया में उसी तरह के कंटेंट ज्यादा वायरल होते हैं, जो इंसानी दिमाग के इन इमोशन को प्रमोट करते हैं।

फेक वीडियो बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य

  1. फेक वीडियो का कंटेंट बहुत ही सनसनीखेज होता है, क्योंकि इनका उद्देश्य वीडियो पर ज्यादा से ज्यादा व्यूज और वाॅच टाइम को कवर करना होता है।
  2. कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि नकारात्मक या चौंकाने वाली भ्रामक सूचनाएं, सकारात्मक सूचनाओं से कई गुना तेजी से वायरल होती हैं।
  3. सोशल मीडिया पर वायरल कटेंट की कमाई उनके व्यूज और वाॅच टाइम से कनेक्ट होती है। किसी कंटेंट को जितना ज्यादा कंज्यूम किया जाएगा उसे क्रिएट करने वाले की उतनी ही कमाई होगी।

ओर्का के झूठे वीडियो ने कितनी की कमाई

बता दें कि, सबसे पहले तो यह देखा जाता है कि वह वीडियो किस प्लेटफाॅर्म पर चल रहा है, उसके बाद यह देखा जाता है कि उसमें कितने यूजर आए हैं, कितना व्यूज है, कितना वाॅच टाइम है, साथ ही उसपर कितने लाइक, कितने कमेंट और कितना शेयर है। इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर ही उस वीडियो की कमाई तय की जाती है।

यदि यूट्‌यूब पर कोई वीडियो एक हजार व्यू लाती है तो उसे 80 रुपए से 400 रुपए तक मिल सकते हैं। वहीं Facebook और Instagram Reels में कमाई ब्रांड डील और स्पॉन्सर्ड पोस्ट से होती है। एक्स पर फॉलोअर्स और एंगेजमेंट के आधार पर कमाई होती है। गौर करने वाली बात यह है कि आजकल सोशल मीडिया फेक न्यूज पर लगाम कस रही है, इसी वजह से ऐसे वीडियो को बैन या डिलीट कर दिया जाता है, जो गलत सूचनाएं फैला रहे हैं कई बार ऐसे चैनल को भी बैन कर दिया जाता है, जो फेक न्यूज देते हैं।

ओर्का वाले वीडियो का सच भी जल्दी ही सामने आ गया था, इसलिए यह कहना उचित गलत होगा कि इसने लाखों की कमाई की। हां, यह अवश्य हुआ होगा कि इसने हजारों में कमाई की होगी, मगर जब वीडियो का सच सामने आ गया, तो इसका मोनेटाइजेशन बंद कर दिया गया होगा और इसे लिमिटेड भी कर दिया गया होगा, जिसकी वजह से इसपर ज्यादा कमाई नहीं हुई होगी।

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