Jind : कटा हाथ, नंगे पांव, भूखे पेट जींद से बिहार के लिए निकला बालक, 150 किमी. दूर नूंह में 2 टीचरों ने रोका

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Jind to bihar : जींद। हरियाणा के जींद में एक डेयरी में बालक को बंधुआ मजदूरी के लिए एक कमरे में बंधक बनाकर रखा गया। यह बालक अपना कटा हुआ हाथ लेकर जींद से बिहार के लिए पैदल ही निकल पड़ा और करीब 150 किलोमीटर चलने के बाद जब नूंह जिले के तावडू इलाके में पहुंचा तो वहां दो स्कूल टीचरों और एक पुलिस अधिकारी ने उसे देखा तो इस मामले का खुलासा हुआ। इस मामले में पुलिस अब परिवार को इस बात के लिए मनाने में लगी है कि परिवार एफआईआर दर्ज करवाने में आगे आए।

पुलिस ने बताया कि मंगलवार की सुबह एक सरकारी स्कूल टीचर अरविंद कुमार और राकेश कुमार ने बारिश में इस लड़के को लड़खड़ाते हुए नंगे पांव चलते देखा। उस समय वह सिर्फ अंडरवियर पहने हुए था और काफी थका हुआ और बेसुध हालत में था। लड़के ने कई दिनों से कुछ खाया भी नहीं था। उसका बायां हाथ कोहनी से अलग हो गया था और उस पर बहुत ही कम पट्टी बंधी हुई थी। अपनी चोट के बावजूद वह अकेले ही 1000 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर बिहार के किशनगंज में अपने घर लौटने का संकल्प मन में लेकर पैदल निकल पड़ा था।

स्कूल टीचर अरविंद कुमार ने बताया कि जब उसने उस लड़के से पूछा कि वह कहां जा रहा है तो उसने कहा बिहार। जैसे ही लड़के ने बिहार कहा तो स्कूल टीचर हैरान रह गया। क्योंकि बिहार 1000 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर था। स्कूल टीचर के अनुसार यह लड़का मुश्किल से कार में बैठ पाया। उसने कुछ खाने को मांगा तो स्कूल टीचर ने उसे अपना लंच दे दिया जो उसने कुछ ही मिनट में खत्म कर दिया। टीचर सबसे पहले कि उसे एक नजदीकी पुलिस चौकी पर ले गए। उसके बाद वहां मौजूद होमगार्ड ने उन्हें नूंह सदर पुलिस थाने जाने को कहा। वहां एएसआई कमल सिंह मदद के लिए तैयार हो गए। उन्होंने लड़के को पहनने के लिए कपड़े दिए।

अरविंद ने कहा कि हम अपने सीनियर्स को सूचित करने के बाद उस दिन स्कूल नहीं गए और लड़के की मदद के लिए थाने पर ही रुक गए। लड़के को शुद्ध रूप से हिंदी नहीं आती है। वह भोजपुरी भाषा में बात करता है और उसे समझना यहां के लोगों के लिए काफी मुश्किल भरा हो रहा था। इसी बीच यहां काम करने वाले बिहारी लोगों ने उसकी भाषा को देखकर पहचाना कि यह लड़का किशनगंज जिले का रहने वाला हो सकता है क्योंकि जिस भाषा में वह बात कर रहा था वह किशनगंज में बोली जाने वाली भाषा थी।

इसके बाद पुलिस एएसआई कमल सिंह उसे इलाज के लिए नूंह के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र ले गए जहां डॉक्टरों ने उसका प्राथमिक इलाज किया। इस दौरान लड़का करीब 4 घंटे सोता रहा। डॉक्टरों ने बताया कि पट्टी किसी नौसिखिए ने की थी जो घाव पर चिपक गई थी। उनका अनुमान है कि यह पट्टी 12 से 14 दिन पुरानी हो सकती है। कमल सिंह ने थाने में वापस आकर लड़के के घर वालों को ढूंढने के लिए उससे पूछताछ की तो लड़का अपने घर के आसपास के गांव के नाम याद करने लगा।

साथ ही दरोगा ने किशनगंज के एसपी से संपर्क किया। एसपी ने एक स्थानीय एसएचओ से परिवार का पता करने को कहा। दो-तीन घंटे बाद जब लड़के ने अपनी बोली में पुलिस अधिकारी से बात की तो सफलता मिली। लड़के का एक भाई हरियाणा के कैथल में दिहाड़ी मजदूरी करता है। मंगलवार शाम तक तीन अन्य रिश्तेदार वहां पहुंच गए और वह उसे रोहतक के पीजीआई ले गए जहां गुरुवार को उसकी सर्जरी हुई। नूंह पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि परिवार ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया और लड़के को घर ले जाने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उसे इलाज के लिए जाने दिया लेकिन बाद में जीरो एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश करेंगे।

लड़के ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा है कि वह काम की तलाश में हरियाणा आया था। तभी एक व्यक्ति ने उसे जींद में 10 हजार रुपए महीने की नौकरी दिलाने का वादा किया। नौकरी दिलाने के बहाने ले जाकर लड़के को एक कमरे में बंद कर दिया गया। न तो उसे पैसे दिए गए और न ही ठीक से खाना दिया गया। सिर्फ मोटर से चलने वाली चार कटिंग मशीन चलाने के लिए ही बाहर निकाला जाता था। एएसआई कमल सिंह के अनुसार लड़के ने बताया कि चारा कटिंग मशीन में घास डालते समय उसका हाथ कट गया उसे सही तारीख या समय याद नहीं है। उसे जींद में कहीं एक डेरी फार्म में रखा गया था।

जहां से उसने चलना शुरू किया था। लड़के ने बताया कि चोट लगने के बाद उसके मालिक ने उसे कोई दवा दी जिससे उसे नींद आ गई। जब वह नींद से जगा तो वह एक डिस्पेंसरी में था। उसकी जेब में कुछ पैसे भी थे। इसके बाद वह फिर से सो गया। जब वह उठा तो पैसे और उसके कपड़े गायब थे। डिस्पेंसरी वाले ने उसे वहां से जाने को कहा। तभी वह पैदल ही बिहार अपने घर की ओर चल पड़ा। पुलिस ने कहा कि लड़का डेरी का सही स्थान या अपने मालिक का नाम नहीं बता सका है, लेकिन अगर परिवार के लोग शिकायत दर्ज करने के लिए सहमत होते हैं तो पुलिस जांच करेगी और इस मामले में डेयरी संचालक को ढूंढ निकालने का काम करेगी।

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